माता, पिता और गुरु,देव स्वरूप हैं इनकी मृत्यु कभी नहीं होती -पं-भरत उपाध्याय
प्रभात इंडिया न्यूज़/अजय गुप्ता भीतहां भारतीय संस्कृति मूलतः जीवनदायनी संस्कृति है ‘मृत्योर्मा अमृतं गमय’ यानी मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो कहकर इसमें सभी के अमरत्व की कामना…