प्रभात इंडिया न्यूज़/भीतहां मधुबनी अजय गुप्ता
मधुबनी, राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज मधुबनी के पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने आज अन्नपूर्णा जयंती के अवसर पर भागवत प्रेमियों के बीच गीता पर व्याख्यान देते हुए कहा कि इस ग्रंथ को पढ़ने से व समझने से मनुष्य अपने कर्त्तव्यों को भलीभांति पहचान सकता है।और साथ-साथ अपने मानवीय व दैवीय गुणों का विकास कर सकता है,और वैसे भी हमारे ग्रन्थों में मनुष्य योनि को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है, लेकिन मानव जीवन बहुत कठिनाइयों से गुजरता है हमें हर मोड़ पर अनेकों परेशनियों का सामना करना पड़ता है जो हमारे जीवन को उथलपुथल कर देती है औऱ इन समस्याओं का समाधान ढूंढना बेहद कठिन होता है। इसलिए हमें श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ना चाहिए। क्योंकि यह मानव जीवन का सार है जिसमें मनुष्य के हर सवाल का जवाब मिलता हैं और भगवदगीता को समस्त ग्रन्थों में सवश्रेष्ठ माना गया है इसलिए समस्त ग्रन्थों को पढ़ने के बजाय आप केवल श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ सकते है।
भगवदगीता एक ऐसा श्रेष्ठ ग्रंथ है जिसकों हर क्षेत्र का व्यक्ति पढ़ सकता हैं जैसे वैज्ञानिक, मनस्विद, राजनीतिज्ञ, संन्यासी, दार्शनिक, शिक्षक या विद्यार्थी कोई भी हो सभी को जीवन मे भगवदगीता को ज़रूर पढ़ना चाहिए, ताकि हम अपने जीवन को बेहतर तरीके से समझ सकें व बेहतर बना सकें।माना जाता है कि अगर आपके घर मे भगवद्गीता है तो यह आपके घर मे सुखः, शांति औऱ तरक्की को लेकर आती हैं और यह मनुष्य जीवन की सार्थकता को सिद्ध करने का सबसे बेहतर ग्रंथ है। यह ग्रंथ सभी क्षेत्रों में आप को सर्वश्रेष्ठ सफलता प्रदान करने में सहायक साबित होगा।श्रीमद्भगवद्गीता स्वयं सिद्ध ग्रंथ है क्योंकि यह भगवान के श्री मुख से निकला हुआ एकमात्र ग्रंथ है.इसके प्रत्येक श्लोक संपूर्ण शाश्वत सिद्ध मंत्र है।भगवद गीता किसी जाति, संप्रदाय का ग्रंथ नहीं है यह संपूर्ण मानव जाति का ग्रंथ है.इस ग्रंथ के उपदेश प्रत्येक कालखंड के प्रत्येक मनुष्य के लिए हमेशा सदा नूतन व शाश्वत है। अतः इसलिए यह श्रीमद्भागवत गीता प्रत्येक मनुष्य के घर में होना आवश्यक है और इसका अध्ययन भी प्रत्येक मनुष्य को अवश्य करना चाहिए,,जब मनुष्य श्रीमद् भागवत गीता का नित्य प्रति दिन श्रद्धा पूर्वक इसका अध्ययन करेगा तो फिर यह गीता मनुष्य के जीवन में जरूर उतर के आएगी और मानव जीवन को श्रेष्ठता प्रदान करेगी।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
इस अवसर पर पंडित नीरज शाण्डिल्य, शैलेन्द्र मोहन पाण्डेय, केशव पाण्डेय, रौनक पाण्डेय, आकाश सिंह, दिनेश कुमार गुप्ता सहित सैकड़ों भागवत प्रेमी उपस्थित रहे।