बिना लंबी लकीर खिंचे आदर्श स्थापित नहीं होते।

प्रभात इंडिया न्यूज डेस्क।भैरोगंज (सुनिल कुमार)

आदर्श एक शब्द है । शब्दों का उच्चारण आसान होता है । उन शब्दों के अर्थ भी निकल लेना कोई मुश्किल काम नहीं होता । लेकिन आदर्श स्थापित कैसे करते हैं ,यह जटिल है । क्योंकि इसके लिए इंसान को अपनी सच्ची लगन,दृढ़ संकल्प और लगातार मेहनत की जरूरत पड़ती है । लेकिन यह तब और अधिक महत्वपूर्ण तथा भावनापूर्ण हो जाता है , जब किसी आदर्शवादी पुरुष को अपने उपरोक्त कृत्यों के पीछे अपना निजी स्वार्थ मूल कारण न हो कर,समाज के उन उपेक्षित व वंचित समुदायों के भावनाओं की कद्र करने एंव उनमे व्याप्त हीनभावना को समाप्त करने के लिए प्रयास शामिल हो । यथार्थ में इस आर्थिक परिवेश में ऐसे प्रयास निश्चित ही आदरणीय हैं और मिल के पत्थर की तरह हैं । बहरहाल उपरोक्त संदर्भों को समझ कर हर कोई हैरान हो सकता है के भला आज के वर्तमान समय मे ऐसा करने वाला आदमी भी हो सकता है क्या!?

लेकिन आपको जानकर यह हैरानी जरूर होगी कि आज भी अधिकांश सोंच से हट कर बिना स्वार्थ समाज को दिशा देने के लिए नई लकीर खिंचने वाले लोग भी हमारे साथ ही मौजूद हैं । हम बात कर रहे हैं हरिनगर रेलवे स्टेशन अधीक्षक शिशिर रॉय की । उनका तबादला अभी कुछ माह पहले भैरोगंज रेलवे स्टेशन से हरिनगर के लिए हुआ है । पर भैरोगंज आने से पहले वे हरिनगर में ही पोस्टेड थे । अपने कर्तव्यनिर्वहन के बीच वे समाज के लिए इंसानियत की जिंदा मिशाल की तरह हमेशा काम करते रहे हैं । अपने कर्तव्यनिर्वहन के बीच जब भी अवकाश के लम्हे मिलते, वे निसहाय बच्चों की निःशुल्क शिक्षा के अलावा उनके सामाजिक ,नैतिक उत्थान के लिए उनका किया प्रयास आज भी नजीर की तरह कायम हैं । पिछले कई बर्षों से वे अपना जन्मदिन कुष्ठरोगियों के साथ सेलिब्रेट करते हैं । एक तरह पूरा समाज ऐसे अवसर को अपने परिवार के साथ सेलिब्रेट करने और आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल रहने का आकांक्षी है । उसी दौर में शिशिर कुमार रॉय पिछले कई बरसों से अपना जन्मदिन भैरोगंज के कपरधिका कुष्ठाश्रम के रोगियों के साथ मानते आ रहे हैं । हालांकि कहना ना होगा कि इस बीच उनका स्थानांतरण भैरोगंज से हरिनगर रेलवे स्टेशन पर कर दिया गया है । परंतु फिर भी 15 नवम्बर के अपने जन्मदिन को वे कभी नहीं भूले । बता दें कि शुक्रवार को उन्होंने ने पुनः बतौर अपना जन्मदिन उन्होनें अपने परिवार के सदस्यों के बजाय कुष्ठाश्रम कपरधिका के कुष्ठरोगियों व उनके बच्चों के साथ मनाया है । इस संदर्भ में वे बताते हैं कि कुष्ठ रोग छुत नहीं है । पहले समाज मे यह भ्रांति थी कि कुष्ठरोग संक्रामक बीमारी है । ऐसे व्यक्ति को पारिवारिक व सामाजिक बहिष्कार जैसे मुश्किल दौर से गुजरना पड़ता था । कमोबेस ऐसी गलत विचारधारा आज भी समाज मे बनी हुई है । जो ठीक नहीं है । इस गलत अवधारणा को हम सब को मिलकर हटाने की जरूरत है । आज की युवापीढ़ी में यह जनजागृति के लिए वे सदैव प्रयत्नशील रहते हैं । जो आगे भी जारी रहेगा । कहना ना होगा कि श्री रॉय बीते कोरोना काल मे भी लाख वन्दिशों के बाद भी जनसेवा में युवकों के साथ जूट रहे हैं । फेसमास्क,सेनेटाइजर और रोग प्रतिरोधक साबुन आदि तमाम वस्तुएं उनके साथ जागरूक नवयुवकों को टोलियों ने निरंतर आपसी संसाधनों के तहत लोगों में वितरित किया था ,उन्हें समय समय पर जागरूक करने का भी काम किया था । यह वाकया तब की है जब आम आदमी रोग के भय से बाहर नहीं निकलता था और ना हीं किसी अन्य से सम्पर्क में आना चाहता था ।

इसतरह अधीक्षक शिशिर रॉय के द्वारा बहुत से कार्य आज भी युवा दिलों में नजीर की तरह स्थापित है ।

फिलहाल उन्होंने अपना जन्मदिन शुक्रवार को कुष्ठरोगियों के साथ सेलिब्रेट किया किया । इस मौके पर उन्होंने बच्चों के बीच टाफियां वितरित कीं । मोहन महतो,रामपतो देवी,उर्मिला देवी,आरती देवी,ललिता देवी आदि को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया । इसके अलावा तमाम अन्य रोगियों को भी उपहार वितरित किया।मौके पर उपसभापति प्रतिनिधि सुजल कुमार सिंह, गणेश सिंह,रवि सोनी,चंद्रभान शर्मा,शिवम पाठक,गुड्डू यादव,डब्ल्यू सिंह,मुन्नीलाल साह, जिंतेंद्र गुप्ता,रूप चौरसिया आदि उपस्थित रहे ।

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