प्रभात इंडिया न्यूज़/भीतहां अजय गुप्ता
प्रख्यात पर्यावरणविद् एवं पूर्व प्राचार्य पंडित भरत उपाध्याय ने बांसी धाम की विशेषता बताते हुए कहा कि, हमारे पूर्वजों ने सौ काशी न एक बांसी यूं ही नहीं बताया है मुक्तिदायिनी नारायणी की बेटी होना, तथा धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री राम जी की बारात यहां भी विश्राम की थी, जिससे इस स्थान विशेष का महत्व बिहार, उत्तर प्रदेश एवं नेपाल देश के धर्मानुरागियों में रच बस गया है। बिहार सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिला अंतर्गत नारायणी की बेटी कही जाने वाली बांसी नदी, बिहार में प्रकट होकर उत्तर प्रदेश की परिसीमा में बहती है। बांसी नदी तट पर स्थित बांसीधाम में बड़े-बड़े सिद्ध, महापुरुष, योगी, साधु- संतआते रहे हैं! जन श्रुति के अनुसार स्थानीय रामघाट में श्री राम जी स्नान किए थे, पडरौना होकर पदयात्रा किए थे।जानकी नगर में मां जानकी की सवारी रुकी थी।घोड़हवा यहां रथ, घोड़े रुके थे, दहवा में, दही, चुड़ा जलपान हुआ था।खिरकिया में खीर का प्रसाद बना था। रामकोला होकर आगे की यात्रा पूरी हुई थी।नारायणी की तरह बांसी नदी भी मोक्षदायनी है। लगभग बीस कोस के विशाल क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, बिहार के निवासी आज भी बांसी धाम, मुक्तिधाम में चिता दहन करते हैं। यहां लगने वाले मेले में हर वर्ष उत्तर प्रदेश, बिहार व नेपाल के लोग बड़ी श्रद्धा के साथ भाग लेते हैं। आज भी बड़े भाव से श्रद्धालु स्नान करके आचमन भी करते हैं जबकि बांसी का जल आचमन योग्य नहीं है । प्रदूषित जल होने के कारण श्रद्धालू,जल अपने ऊपर छिड़क कर मान्यता पूरी कर लेते हैं। खेदकी बात यह है कि स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारों एवं लोगों में जागरूकता के अभाव से आज बांसी धाम की पवित्रता पर प्रश्नचिंह लगा हुआ है।