प्रभात इंडिया न्यूज़ /भीतहां/अजय गुप्ता

शुभाश्रम, के प्रांगण में श्री हनुमान जन्मोत्सव समारोह में आयोजित शुभाश्रमसंवाद-माला में *धर्म का मर्म* विषय पर अपना वक्तव्य देने लोक बुद्धिजीवी, लेखक,विचारक, उपन्यासकार, आलोचक एवं सम्पादक, पूर्व सदस्य लोकसेवा आयोग प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल के पहुंचते ही प्रबुद्धजनों द्वारा करतल ध्वनि के बीच माला पहनाकर स्वागत किया गया।

अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक अखिलेश शाण्डिल्य के स्नेह संवाद को स्वीकार कर शुभाश्रममें पधारे, अतिविशिष्ट व्यक्तित्व के स्वागत भाषण में श्री शाण्डिल्य ने गौरवान्वित महसूस करते हुए कहा कि –

इनका जन्म 25 अगस्त 1955 को ग्वालियर मध्य प्रदेश में हुआ। इन्होंने 1974 में महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज, ग्वालियर, मध्य प्रदेश से स्नातक की डिग्री प्राप्त की 1977 में जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, मध्य प्रदेश से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद भारतीय भाषा केंद्र भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली में हिंदी में एम०ए० और एम फिल की उपाधियां प्राप्त की प्रोफेसर अग्रवाल को 1985 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह के निर्देशन में “कबीर की भक्ति का सामाजिक अर्थ” विषय पर पीएचडी की उपाधि प्रदान की ।पुरुषोत्तम अग्रवाल कैंब्रिज विश्वविद्यालय यूनाइटेड किंगडम के फैकेल्टी आफ ओरिएंटल स्टडीज में ब्रिटिश अकैडमी विजिटिंग प्रोफेसर रहे। 2002 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के ही वोल्फसन कॉलेज के फेलो के रूप में कार्य किया ।कैंब्रिज विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र, कैंब्रिज विश्वविद्यालय में “वर्तमान भारतीय राजनीति में अस्मिता विमर्श” विषय पर दो संगोष्ठियों का संचालन किया! मई से जुलाई 2002 के बीच वे नेशनल कॉलेज आफ मैक्सिको, मेक्सिको सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर रहे ।भारतीय इतिहास और संस्कृति के विभिन्न विषयों पर चार संगोष्ठियों का संचालन किया। नवंबर-दिसंबर दिसंबर 2004 के दौरान अमेरिका की अपनी अकादमिक यात्रा में इन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय न्यूयॉर्क , इमोरी विश्वविद्यालय, अटलांटा, राइस विश्वविद्यालय, हॉस्टन में विभिन्न विषयों पर भाषण दिए! अमेरिकन अकैडमी आफ रिलिजन के निमंत्रण पर अटलांटा में “कबीर की भक्ति संवेदना” पर इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ हिस्टोरियंस आफ रिलिजन की वार्षिक सभा में निबंध पाठ /इमोरी विश्वविद्यालय के हेल इंस्टिट्यूट ने इनके सम्मान में लंच पर एक सभा का आयोजन किया। इस सभा में पुरुषोत्तम अग्रवाल ने चुनाव के बाद के भारतीय परिदृश्य पर चर्चा की, इसके अतिरिक्त हाइडेलवर्ग फ्रैंकफर्ट, बैंकाक ,लंदन, पेरिस ,कोलंबो, येरेवान, अस्त्राखान की अकादमीक, व्याख्यान और शोध यात्राएं की ।2 जुलाई 2007 को भारत सरकार ने पुरुषोत्तम अग्रवाल को संघ लोक सेवा आयोग का सदस्य मनोनीत किया ।इस दौरान इनकी छवि एक लोक बुद्धिजीवी की बनी, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विषयों पर टीवी पर बहसों से देश भर में लोकप्रिय हुए ।आज एक लोक बुद्धिजीवी के रूप में प्रोफेसर अग्रवाल का महत्व निर्विवाद है।

प्रोफेसर अग्रवाल ने अपनी व्याख्यान में कहा कि ब्राह्मण अव्द्ध है किंतु उसका कुकृत्य दंड का भागी बना दिया है। वह गुरु पुत्र भी है! ऐसे में धर्म का मर्म सिर्फ विवेक है। अश्वत्थामा का मणि निकाल कर, आज भी उसे दर्दसे बिलबिलाने के लिए छोड़ दिया गया।

अंत में पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी भाग्यशाली हैं, बहुत गर्व से आने वाली पीढ़ी को बता सकते हैं कि हम शुभाश्रममें अति विशिष्ट व्यक्तित्व प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल का स्वागत किया और उनको सुना है।बता दें कि पटना, छपरा, चंपारण, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, लखनऊ, बनारस के प्रबुद्ध लोग व्याख्यान में भाग लिये।

By प्रभात इंडिया न्यूज़

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