प्रभात इंडिया न्यूज़ भीतहां/मधुबनी, पूर्व प्राचार्य पंडित भरत उपाध्याय ने अपने निज निवास शुभाश्रम पर, श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर श्री राम नाम कीर्तन का शुभारंभ करते हुए कहा कि -भगवान श्री कृष्ण एक तरफ वंशीधर हैं तो दूसरी तरफ चक्रधर, एक तरफ माखन चुराने वाले हैं तो दूसरी तरफ सृष्टि को खिलाने वाले। वो एक तरफ बनवारी हैं तो दूसरी तरफ गिरधारी, वो एक तरफ राधारमण हैं तो दूसरी तरफ रुक्मणि हरण करने वाले हैं।
कभी शांतिदूत तो कभी क्रांतिदूत, कभी यशोदा तो कभी देवकी के पुत्र। कभी युद्ध का मैदान छोड़कर भागने का कृत्य , तो कभी सहस्र फन नाग के मस्तक पर नृत्य। जीवन को पूर्णता से जीने का नाम कृष्ण है।* जीवन को समग्रता से स्वीकार किया श्री कृष्ण ने। परिस्थितियों से भागे नहीं उन्हें स्वीकार किया।
भगवान श्री कृष्ण एक महान कर्मयोगी थे, उन्होंने अर्जुन को यही समझाया कि हे अर्जुन, माना कि कर्म थोड़ा दुखदायी होता है, लेकिन बिना कर्म किये सुख की प्राप्ति भी नहीं हो सकती। अगर कर्म का उद्देश्य पवित्र व शुभ हो तो वही कर्म सत्कर्म बन जाता है।
श्री राम नाम संकीर्तन यज्ञ पंडित घनश्याम मणि शांडिल्य के नेतृत्व में गाया जा रहा है। जिसमें मुख्य रूप से अरविंद तिवारी, यशवंत मणि ,नरहरी तिवारी, सत्य प्रकाश तिवारी ,राकेश तिवारी ,संगम तिवारी, दिनेश कुमार गुप्ता, अद्वैत, मनीष, जया मणि की भूमिका सराहनीय है।
बता दें कि उक्त संकीर्तन श्री कृष्ण जी के जन्म समय कल मध्य रात्रि तक अनवरत जारी रहेगा।