प्रभात इंडिया न्यूज से state co-editor पिंटू कुमार

मंगलवार दिन के करीब 11 बज रहे हैं । आज लगभग सुबह से ही धूप अधखिली लग रही है । आसमान में हल्की बादलों की परत को चीर कर सूरज की किरणें जमीन पर फैलने की कोशिश कर रही हैं । इस दिन पिछले दिनों के वनिस्पत गर्मी भी कम है । समय धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है । तकरीबन 11.30 बज रहे हैं । हवा का वेग बिलकुल धीमा पड़ गया है । ऊपर आसमान में बादलों की परत मोटी हो रही है । समय जैसे जैसे आगे बढ़ रहा है । बादलों की परत और अधिक धनी होती जा रही है । साथ ही अब बादलों का गर्जना आंशिक रूप से रुक रुक कर हो रहा । अब समय करीब दिन के डेढ़ बज रहे हैं । बूंदाबांदी शुरू हो गई है । जो शनैः शनैः हल्के तौर बढ़-घट रही है । हाँ, पर इस बीच बिजली की आपूर्ति ठप है । फिर भी कई ऐसे चेहरे हैं ,जो खिल गए हैं । इन खिले चेहरों में आम आदमी को गर्मी से राहत की उम्मीद है । तो वहीं गन्ना किसानों को समुचित वर्षा की उम्मीदों ने सहारा दिया है । दिन के दो बज रहे हैं । अब हवा के वेग में थोड़ी वृद्धि आई है । पानी के छींटे अभी भी जमीन पर पूर्व की तरह गिर रहे हैं । उनमें खास अंतर नहीं आया है । लेकिन आसमान में काले बादलों का घुमड़ना व गर्जना अभी भी जारी है । किसान टकटकी लगाकर आसमान की तरफ बड़ी उम्मीदों से देख रहे हैं । वैसे तो मौसमी बदलाव से हर तबके के किसान को काफी उम्मीदें हैं । पर छोटे किसान जिनकी कोई बड़ी खेती नहीं है तथा जिनके पास कृषि संसाधनों की कमी भी है । ऐसे किसान किसी तरह की जुगत से अपने छोटे जमीन को जोत आबाद कर अपने परिवार के दायित्वों की पूर्ति करते हैं । उन्हें मौसम में आये इस परिवर्तन से काफी उम्मीद बनी हुई है । समय के अन्तराल पर आसमान से गिरते पानी की बूंदों के आनुपातिक बदलाव से मन में उपजते आशा- निराश के भावों से उनके चेहरे के भाव भी हर पल बदल रहे है । अब दिन के 2 .30 बज रहे हैं । बूंदाबांदी रुक गई है । लेकिन आसमान में बादल पूर्व की तरह जमे हुए हैं । हवा का वेग बिलकुल धीमा है।किसान सर्वजीत साह, अर्जुन शर्मा,राजेश साह,बलिस्टर यादव ,गेना पड़ित,चंद्रिका साह आदि का कहना है कि गन्ने की खूंटी अथवा बागव फसलें अत्यधिक गर्मी से बुरी तरह प्रभावित हैं । खेतों की पटवन किसी तरह अन्य संसाधनों से की जा रही है । परंतु असहनीय तापमान और गर्मी से खेतों की नमी महज कुछ दिन के लिए होती है । उसके बाद पुनः हालत पूर्व की तरह हो जाती है । उनकी मानें तो वर्तमान परिदृश्य में समुचित मात्रा में बारिश अति आवश्यक है ।

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