प्रभात इंडिया न्यूज़ अजय गुप्ता भीतहां 

मधुबनी, पूर्व प्राचार्य पंडित भरत उपाध्याय के निज निवास स्थित श्रीधाम मंदिर खिरहा में श्रोताओं को राम कथा का रसपान कराते हुए प्रेमभूषण महराज ने कहा कि

जब भगवान श्रीराम 14 वर्षों के वनवास के लिए जा रहे थे, तब उनके छोटे भाई भरत ने यह प्रण लिया था कि जब आप 14 सालों का वनवास पूरा कर वापस नहीं आते तब तक मैं यहीं रहकर नंदीग्राम में तप करूंगा और सिंहासन पर आपकी चरण पादुका रखकर सेवक की भांति अयोध्या की सेवा करूंगा. अगर आपने वापस आने में 14 सालों से एक भी दिन अधिक लिया तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगा. इसलिए श्रीराम ने अयोध्या लौटते ही सबसे पहले अपने प्रिय भाई भरत को गले से लगाया तभी से यह क्षण भरत मिलाप कहलाया. इस अवसर पर पं०भरत उपाध्याय , एडवोकेट प्रेम नारायण मणि त्रिपाठी, शिवदासनी त्रिपाठी,अखिलेश प्रताप सिंह, सुयश मणि, केन यूनियन चेयर मैन अनिल मणि दिनेश मणि त्रिपाठी, आचार्य प्रमोद मणि त्रिपाठी, अनिल मणि गुल्लू, पारस नाथ गुप्ता, दिनेश कुमार गुप्ता, कमलेश प्रजापति, डब्लू बरनवाल, बेचू सिंह गोवर्धन चौहान आदि उपस्थित रहे,

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