प्रभात इंडिया न्यूज़/भीतहां/अजय गुप्ता 

भगवान सूर्य की दो पत्नियां थीं. जिनमें से पहली पत्नी संज्ञा जो कि विश्वकर्मा की पुत्री थीं, उनसे सूर्यदेव की पहली तीन संतान वैवस्वत मनु, यम और यमुना हैं. धर्मराज या यमराज सूर्य के सबसे बड़े पुत्र हैं. जिन्हें यमराज के नाम से जाना जाता है. उसके बाद यमुना नदी उनकी दूसरी संतान और ज्येष्ठ पुत्री हैं. जो अपने पिता सूर्यदेव के आशीर्वाद से पृथ्वी पर आज भी बह रही हैं. यमुना का वेग सामान्‍य है और इसमें नहाने से यम की प्रताड़ना से मुक्ति मिलती हैा वैवस्वत मनु सूर्य और संज्ञा की तीसरी संतान हैं. वैवस्वत मनु ये श्राद्ध देव हैं. ये पितृलोक के अधिपति हैं. इन्होंने ही भूलोक पर सृजन का कार्य किया था।

सूर्य का तेज सह न पाने के बाद जब उनकी पत्नी संज्ञा ने अपनी ही रूप-आकृति तथा वर्णवाली अपनी छाया को सूर्य के पास स्थापित कर अपने पिता के घर तप करने चली गईं, तो उसके बाद सूर्य लंबे समय तक संज्ञा की छाया के साथ रहे। छाया को सवर्णा के नाम से भी जाना जाता है। छाया से सूर्य की चार संतानें थीं। पहली संतान शनिदेव, दूसरी संतान तप्ति थीं। तप्ति का विवाह सोमवंशी राजा संवरणसे हुआ था, जिनसे कुरु वंश के संस्थापक कुरु का जन्म हुआ। छाया और सूर्य की तीसरी संतान विष्टि ने भद्रा नाम से नक्षत्र लोक में प्रवेश किया।शनि (जिन्‍हें दंडाधिकारी कहा जाता है), तपती (यमुना के स्‍वभाव से विपरीत एक तेज बहाव वाली नदी हैं, जिसमें स्‍नान करने पर पितृदोष से मुक्ति और शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलती है) तथा विष्टि (भद्रा) नाम की चार संतान हुईं।

जब सूर्यदेव को संज्ञा के बारे में पता चला तो वे उनके पास उस स्‍थान पर घोड़ा बनकर पहुंचे, जहां संज्ञा अश्विनी यानि घोड़ी के रूप में तप कर रही थीं. उसके बाद सूर्य और संज्ञा के संयोग से जुड़वां अश्विनी कुमारों की उत्पत्ति हुई. ये दोनों देवताओं के वैद्य हैं. इसके बाद सूर्य और संज्ञा के पुनर्मिलन के बाद सबसे छोटी संतान के रूप में रेवंत का जन्‍म हुआ था।

सुवर्चला सूर्य देव की तपस्वी और तेजस्वी पुत्री थीं ।हनुमान जी और सुवर्चला के विवाह की कहानी पाराशर संहिता में भी मिलती है। तेलंगाना के खम्मम जिले में हनुमान जी और सुवर्चला का एक मंदिर है, यहां ज्येष्ठ शुद्ध दशमी को हनुमान जी के विवाह पर धार्मिक आयोजन होते हैं। हनुमान जी ने 9 विद्याओं का ज्ञान पाने के लिए सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था। सूर्य देव ने हनुमान जी को 9 में से पांच विद्याएं दीं ,लेकिन बाकी चार विद्याओं को पाने के लिए हनुमान जी का विवाह जरूरी था। सूर्य देव ने अपने तेज से सुवर्चला को जन्म दिया और हनुमान जी से उनसे शादी करने को कहा!कि सुवर्चला से शादी करने के बाद भी हनुमान जी हमेशा बाल ब्रह्मचारी रहेंगे। क्योंकि सुवर्चला भी शादी के बाद तपस्या में लीन हो जाएंगी। सुवर्चला परम तपस्वी थीं और विवाह के बाद भी तपस्या में लीन हो गईं ,हनुमान जी भी अपनी बाकी चार विद्याओं के ज्ञान को पाने में लग गए।

By प्रभात इंडिया न्यूज़

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