ग्रामीण सड़कों से लेकर हाइवे पर बेखौफ दौड़ रहे ओवरलोड वाहन।
बिगाड़ रहे सड़कों की सूरत, परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मौन।
बरवाकला में नवनिर्मित सड़क ओवरलोडेड ट्रक के चलने से हुई क्षतिग्रस्त।
ग्रामीण सड़कें क्षतिग्रस्त होने का बड़ा कारण ओवरलोडिंग।
प्रभात इंडिया न्यूज़ /संवाददाता /साठी
पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया नरकटियागंज हाईवे पर तथा इसी मार्ग में साठी पेट्रोल पंप के बगल से नरकटियागंज जाने वाली हाइवे से एक ग्रामीण सड़क निकलती है जो गुलाब प्रवेश द्वार से शुरू होकर दर्जनों गांव के लाखों ग्रामीणों का आने-जाने का मुख्य मार्ग है इसी मार्ग से होकर ग्रामीण जिला मुख्यालय अनुमंडल मुख्यालय और प्रखंड मुख्यालय तक लोग आते-जाते हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में जाने वाली सड़क पर भारी वाहनों के चलने से पक्की सड़क पर गिट्टी, ईंट तथा अन्य भवन सामग्री से लोड़ ट्रक, ट्रैक्टर, तथा ओवरलोड डंफरों की आवाजाही के कारण आसपास के क्षेत्र के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ओवरलोड ट्रक और डंपरों से ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें तो टूट ही रही हैं। लेकिन इस पर परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी बिलकुल ही ध्यान नहीं दे रहे हैं।बता दें इस मार्ग में भारी वाहनों के चलने की वजह से सड़क टूट रही है,जबकि बडे़ वाहनों का वजन ग्रामीण सड़कों की क्षमता से अधिक रहता है। ग्रामीण सड़कों पर 8 टन से लेकर 10 टन तक ही लोड वाहन चल सकते हैं। इसके बावजूद इन भारी वाहनों से निर्धारित क्षमता से अधिक यानी ओवरलोड होकर वाहन तेज रफ्तार से सड़कों पर दौड़ते देखे जा रहे है। जिससे साठी गुलाब प्रवेश द्वार से लेकर धमौरा गांव तक बनी नवनिर्मित मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री सड़क लगातार क्षतिग्रस्त होती जा रही हैं। लेकिन सड़क योजना के जिम्मेदार अधिकारी एवं परिवहन विभाग के अधिकारी ओवरलोड वाहनों की आवाजाही में प्रतिबंध नहीं लगा पा रहे है। वैसे प्रधानमंत्री सड़क का निर्माण ग्रामीण अंचलों को मुख्य मार्ग के जोड़ने के लिए किया गया है। इतना ही नहीं इन सड़कों पर निर्धारित क्षमता से अतिरिक्त भार वाहनों में पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन इस मार्ग में क्षमता से अधिक लोड लेकर वाहन खुले आम सड़कों पर दौड रहे है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि ओवरलोड वाहन गांव की सड़कों पर तेज गति से दौड़ते है। जिससे दुर्घटनाओं की आशंका भी बनी रहती है। साथ ही कई घटनाएं भी हो चुकी हैं। पुरे मामले को लेकर जब ग्रामीण कार्य विभाग के एसडीओ अवधेश कुमार और इंजीनियर धनंजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ट्रक चलने के लिए ग्रामीण सड़क नहीं होती है। ग्रामीण सड़क की क्षमता 8 टन से लेकर 10 टन तक ही होती है। लेकिन अब वह मनमानी करते हैं। जिसकी वजह से नव निर्मित सड़क क्षतिग्रस्त हो जाती है। हम इस बात को ग्रामीण कार्य विभाग के वरिय अधिकारी तथा पश्चिमी चंपारण के जिला पदाधिकारी को इस संबंध में सूचना देकर ओवरलोडेड गाड़ियों पर लगाम लगाने की मांग करेंगे। वही इस संबंध में जिला परिवहन पदाधिकारी पश्चिम चंपारण से संपर्क करने के लिए उनके सरकारी नंबर पर कई बार फोन किया गया मगर उनका फोन रिसीव नहीं हुआ जिस कारण उनका पक्ष प्राप्त नहीं हो सका। वही ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियरों की मानें तो सड़कें जल्दी टूटने का सबसे बड़ा कारण ओवरलोडिंग गाड़ियों का इन ग्रामीण सड़को पर चलना है । अगर किसी रोड पर ओवरलोड वाहन चलेगा तो वह सड़क को क्षतिग्रस्त करेगा। इसके नियंत्रण के लिए जिला परिवहन विभाग के अधिकारियों के द्वारा करवाई किया जाना चाहिए जिससे ओवरलोडेड वाहनों के ग्रामीण सड़कों पर चलने पर रोक लग सके।