प्रभात इंडिया न्यूज़/अजय गुप्ता द्वारा संकलित
नंद घर आनंद भयो, जय हो नंदलाल की!हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की!!
ठाकुर जी हमारे प्राण हैं, वो जगत के प्रभु हैं ,”प्रभुरेव च”(गीता )वही सब कुछ हैं यह भूलना नहीं है, जन्माष्टमी व्रत पालन करने से 100 जन्मों के पाप के बंधन से जीव मुक्त हो जाता है।
एक जन्माष्टमी व्रत करोड़ एकादशी व्रत से भी श्रेष्ठ है (भविष्य पुराण) यह बहुत ही कल्याणकारी है !आइए इस अवसर पर नाम, संकीर्तन,जप, साधु सेवा, गीता,भागवत ,पाठ के अलावे कुछ विशेष जानकारी प्राप्त करें-
चप्पल बाहर क्यों उतारते हैं- मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर हिंदू मंदिर में है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।
दीपक के ऊपर हाथघुमाने का वैज्ञानिक कारण-आरती के बाद सभी लोग दिया पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।
मंदिर में घंटा लगाने का कारण- जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है। जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।
भगवान की मूर्ति –मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।
परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण-हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 8 से 9 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।