प्रभात इंडिया न्यूज़/भीतहां अजय गुप्ता
श्रावण मास अब विदा हो रहा है। आज भगवान शिव के कुछ प्रमुख नाम और उनके संदेश को भी जान लेते हैं ।
शिव- अर्थात कल्याण स्वरूप। हमारा जीवन स्वयं के साथ-साथ दूसरों के लिए सदा कल्याण स्वरूप बने, ऐसा निरंतर प्रयास करना चाहिए।
भोलेनाथ –सरल और सहज! जीवन सदा सरल और सहज होना चाहिए ।जिसके जीवन में सरलता और सहजता है और जीव सबका प्रिय बन जाता है। *आशुतोष*- अतिशीघ्र प्रसन्न होने वाले। मनुष्य को चाहिए कि जो मिले जब मिले और जितना मिले उसी में प्रसन्न रहे। संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं।
हर -पापों को हरने वाला ।कर्म ऐसा करो कि स्वयं तो पाप से बचो ही मगर दूसरों को भी पाप से बचा सको अथवा दूसरों के पापों का हरण कर सको। *महाकाल*- काल को भी बश में करने वाले। समय के गुलाम मत बनो अपितु अपने काम के प्रति इतने प्रतिबद्ध बनो कि समय आपका गुलाम बन जाए ।
महादेव- देवों के देव !हमेशा प्रतिक्षण कुछ नया करने का कुछ बड़ा करने का और श्रेष्ठ करने का जज्बा अपने आप में उत्पन्न करना चाहिए।
नीलकंठ- नीलकंठ वाले! दुनिया की बातों को सुनो! जो काम का है उसे जीवन में उतारो और जो काम का नहीं है उसे जीवन से उतारो। सबकी सुनों मगर जो काम हो केवल उसे चुनो।
पशुपति- पशुओं के भी पति! सदैव उपेक्षितों, तिरस्कृतों और त्यक्ताओं के सहायक और रक्षक बनो।
मृत्युंजय- मृत्यु पर भी विजय प्राप्त करने वाले !हमारे कर्म इतने श्रेष्ठ और दिव्य होने चाहिए कि मृत्यु हमें नहीं अपितु कीर्तिवान बनकर हम ही मृत्यु को परास्त कर दें।
महेश्वर- समस्त चराचर जगत के स्वामी। प्राणी मात्र से प्रेम करते हुए परोपकार और परमार्थ में निरंतर रत रहते हुए सबके प्रिय बन जाना। स्नेहवश सबके हृदय में अपना स्वामित्व स्थापित कर देना ।
वृषभ वाहन – बैल की सवारी करने वाले! हम सदा शुभ करें, श्रेष्ठ करें और सदैव इस बात का ध्यान रहे कि हमारा प्रत्येक आचरण धर्ममय हो।
इस प्रकार शिव तत्व के ऊपर निरंतर चिंतन करते हुए भोलेनाथ के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को आनंदमय , भक्तिमय और करुणामय बनावें।
आपका सोमवार का दिन शुभ अतिसुन्दरशिवमय और मंगलमय व्यतीत हो!
लिंगाष्टकम स्तोत्र सावन में भगवान शिव को खुश करने का सबसे आसान तरीका है। यह भगवान का अद्भुत स्तोत्र है, जिसकी स्तुति देवताओं ने भी किया।लिंगाष्टकम स्तोत्र सावन में भगवान शिव को खुश करने का सबसे आसान तरीका है। लिंगाष्टक स्तोत्र के विषय में शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि जो मनुष्य इसका श्रवण करता है उसे हर मुश्किल में भी सबकुछ आसान लगता है।
भगवान भोलेनाथ की इस स्तुति में कुल आठ श्लोक हैं। इस अष्टपदी श्लोक के माध्यम से व्यक्ति भगवान शिव की आराधना कर मनचाहा वरदान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।
कहते हैं कि सावन में जो कोई लिंगाष्टकम स्तोत्र का केवल श्रवण मात्र करता है, उसके सारे कष्ट क्षण मात्र में नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं इस स्तोत्र की महिमा तीनों लोकों में व्याप्त है।
लिंगाष्टकम स्तोत्र
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम्
निर्मलभासित शोभित लिंगम्।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥1॥
देवमुनि प्रवरार्चित लिंगम्
कामदहन करुणाकर लिंगम्।
रावणदर्प विनाशन लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥2॥
सर्वसुगन्धि सुलेपित लिंगम्
बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम्।
सिद्ध सुरासुर वन्दित लिङ्गम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥3॥
कनक महामणि भूषित लिंगम्
फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् ।
दक्ष सुयज्ञ विनाशन लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥4॥
कुंकुम चन्दन लेपित लिंगम्
पंकज हार सुशोभित लिंगम् ।
सञ्चित पाप विनाशन लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥5॥
देवगणार्चित सेवित लिंगम्
भावैर्भक्तिभिरेव च लिंगम्।
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥6॥
अष्टदलो परिवेष्टित लिंगम्
सर्व समुद्भव कारण लिंगम्।
अष्टदरिद्र विनाशित लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम्
सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगम्
सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम्।
परात्परं परमात्मक लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिवलिंग
लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥