प्रभात इंडिया न्यूज/अजय गुप्ता भितहा,मधुबनी, राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज मधुबनी, प्रख्यात पर्यावरणविद् एवं प्रकृति प्रेमी- पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने प्रकृति के असंतुलित ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा करते हुए कहा कि, पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन का तात्कालिक उदाहरण इस वर्ष की गर्मी है।जो लोगों को बहुत रुलाई है। आसपास के जिलों में 42 से 45 डिग्री तापमान रहता था, लेकिन इस वर्ष तापमान 46 से 47 डिग्री तक पहुंच गया। अत्यधिक गर्मी, भीषण लू, अति वृष्टि ,असमय बाढ़, सूखा पड़ जाना यह सभी ग्लोबल वार्मिंग का संकेत दे रहे हैं।
लगभग हर जीवधारी चाहे पशु पक्षी हो, जंगली हो या पालतू हो! सभी जीव दया के पात्र हैं। लोगों की जागरूकता से लाखों पक्षियों की जान, पानी की व्यवस्था कर बचाया गया। यह सुखद संकेत है।
पौधा लगाओ ,पर्यावरण बचाओ और उसकी सुरक्षा का संकल्प लेना,आने वाली पीढ़ी के लिए अति आवश्यक विकल्प, जन-जन में व्याप्त हो चुका है। हर हाथ-पेड़, पक्षी के साथ का संकल्प ले रहा है । यह जागरूकता प्रेरणादाई है।
किसी के जीवन को सुरक्षित करना मानव के लिए सुखद होता है।आज जीवन के लिए संघर्ष करते हुए उक्त पंछी को पानी पिलाकर एवं उसका उचित उपचार कर मुझे बड़ा संतोष हो रहा है। घर में गौरैया का बसेरा ,मन हर्षित कर देता है। जल, जीवन, हरियाली घर-घर में खुशिहाली! यही हम सब का संकल्प होना चाहिए।
प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास हमें करते रहना चाहिए।
धरा पे चंदा की चांदनी, और गगन पे तारा नहीं मिलेगा।
कदर जो कुदरत की न हुई तो कोई नजारा नहीं मिलेगा।।