प्रभात इंडिया न्यूज भितहा। दुर्गेश कुमार गुप्ता
सोमवार को भितहा थाना परिसर में थानाध्यक्ष राकेश कुमार की अध्यक्षता में जनप्रतिनिधियो के साथ बैठक हुई। बैठक में नए आपराधिक कानून को लेकर विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि मुख्य रूप से तीन नए अपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू हुआ है। इनमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम होगा। पहले जहां कुल 23 अध्याय में 511 धाराएं थी वहीं अब नए आपराधिक कानून में 30 अध्याय में 358 धाराएं होंगी। नए आपराधिक कानून में मुख्य रूप से कांडो के जांच पड़ताल में वैज्ञानिक अनुसंधान पर ज्यादा जोर दिया गया है।
आइए नए कानून के कुछ महत्वपूर्ण बदलाव को जानते हैं
• सात साल से ज्यादा सजा वाले सभी अपराधों के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री का विजिट घटना स्थल पर अनिवार्य होगा, दोष सिद्धि अनुपात यानी कविक्शन रेश्यो बढ़ेगा।
• 18 वर्ष से कम उम्र की युवती के साथ बलात्कार के अपराध में आजीवन कारावास और मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है।
• गैंगरेप के मामलों में 20 साल या जिंदा रहने तक सजा का प्रावधान किया गया है।
• हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा का प्रावधान है।
• पुलिस को शिकायत के 3 दिनों में ही एफआईआर दर्ज करनी होगी।
• 3 से 7 साल की सजा वाले मामले में प्रारंभिक जांच कर एफआईआर दर्ज करनी होगी।
• जांच की रिपोर्ट 24 घंटे में और तलाशी की रिपोर्ट अधिकतम 24 घंटे में कोर्ट के सामने रखना होगा।
• बिना किसी देर के बलात्कार पीड़िता की मेडिकल जांच रिपोर्ट को 7 दिनों के अंदर पुलिस थाने और न्यायालय में सीधे भेजने का प्रावधान किया है।
• सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र को नए कानून में 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई है।
• यौन उत्पीड़न में पीड़िता का ऑडियो-वीडियो बयान अनिवार्य कर दिया गया है।
• चार्जशीट दाखिल करने की समयसीमा तय कर इसे 90 दिन रखा गया है। इसके बाद और 90 दिन ही आगे जांच हो सकेगी। यानी 180 दिन में जांच समाप्त करनी होगी। 14 दिन में मजिस्ट्रेट को इसका संज्ञान लेना होगा
• आरोपी द्वारा आरोपमुक्त होने का निवेदन भी 60 दिनों में ही करना होगा।
अब तारीख पर तारीख नहीं 3 साल में फैसला मिलेगा
नए आपराधिक न्याय कानूनों से देश में लीक-प्रूफ न्यायिक व्यवस्था स्थापित होगी। अब आपराधिक मामलों का निपटारा तीन साल के अंदर होगा। गरीब आदमी के लिए अब न्याय महंगा नहीं होगा। तकनीक का उपयोग कर पुलिस, वकील और कोर्ट को समयबद्ध बनाकर जल्दी न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भरोसा जताया है कि इन कानूनों के पूर्णतः लागू होने के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी और द्वारका से लेकर कामाख्या तक पूरे देश में तारीख पर तारीख नहीं होगी बल्कि किसी भी आपराधिक मामले के निपटारे में तीन साल से ज्यादा का समय नहीं लगेगा
फोटोग्राफी करवाकर अदालत की सहमति से 30 दिनों के अंदर बेच दिया जाएगा। पैसे कोर्ट में जमा होंगे।
• अब कोई भी मुकदमा पीड़ित की अनुमति के बगैर, उसे सुने बिना केवल राज्य के कहने पर कोर्ट वापस नहीं ले सकती।
• साक्ष्य, तलाशी और जब्ती तीनों में वीडियो रिकॉर्डिंग की अनिवार्यता रखी गई है।
• नई विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम लाई गई है जिसे हर राज्य को घोषित करना पड़ेगा।
• स्मार्टफोन, लैपटॉप, मैसेजेज, वेबसाइट और लोकेशनल साक्ष्य को सबूत की परिभाषा में शामिल किया गया है।
• आरोपियों, विशेषज्ञों, पीड़ितों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से कोर्ट के सामने उपस्थित होने की अनुमति दी है।
• कई मामले ऐसे हैं जिनमें 90 दिनों में आरोपी की अनुपस्थिति में भी ट्रायल कर उन्हें सजा सुनाई जा सकेगी।
• अब मुकदमा खत्म होने के 45 दिनों में ही न्यायाधीश को निर्णय देना होगा। निर्णय और सजा के बीच 7 ही दिनों का समय मिलेगा।
• उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील खारिज करने के 30 दिनों के अंदर ही दया याचिका दाखिल की जा सकती है।
• सात दिन में ऑनलाइन जजमेंट उपलब्ध कराया जाएगा।
• आईपीएस अफसर के विरुद्ध ट्रॉयल की अनुमति देने का फैसला 120 दिन में सरकार के लिए करना अनिवार्य होगा, अन्यथा डीम्ड अनुमति मानकर ट्रॉयल शुरू कर दिया जाएगा।
• पुलिस को 90 दिन में शिकायत का स्टेटस और 15 दिन में वादी को स्टेटस देना अनिवार्य होगा।
• अब पीड़ित किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआईआर करा सकता है जो 24 घंटे में संबंधित पुलिस स्टेशन में अनिवार्य रूप से ट्रांसफर करनी होगी।
• हर जिले और थाने में पुलिस अधिकारी होगा जो गिरफ्तार लोगों की सूची बनाकर उनके संबंधियों को सूचित करेगा।
• जमानत और बांड को स्पष्ट नहीं किया गया था लेकिन अब जमानत और बांड को स्पष्ट कर दिया गया है।
• घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्की के लिए भी प्रावधान किया गया है। पहले 19 अपराधों में ही भगोड़ा घोषित कर सकते थे, अब 120 अपराधों में भगोड़ा घोषित करने का प्रावधान किया गया है।
• एक तिहाई कारावास काट चुके अंडर ट्रायल कैदी के लिए जमानत का प्रावधान किया गया है।
• सजा माफी को भी तर्कसंगत बनाया गया है। अगर मृत्यु की सजा है तो ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास हो सकता है, इससे कम नहीं।
• आजीवन कारावास है तो 7 साल की सजा भोगनी ही पड़ेगी। 7 वर्ष या उससे अधिक सजा है तो कम से कम 3 साल जेल में रहना पड़ेगा। पुलिस स्टेशनों में बड़ी संख्या में पड़ी हुई संपत्ति की वीडियोग्राफी- थानाध्यक्ष ने सोमवार को अपने बैठक में जनप्रतिनिधियो को बुलाकर अपील किया है ताकि नए कानून की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिल सके। नए कानून से जहां अपराध नियंत्रण में मदद मिलेगी। वहीं पुलिस की कार्यशैली में व्यापक सुधार होगा। वही बैठक में जनप्रतिनिधि अंशुमान पांडेय, जिला पार्षद प्रतिनिधि सुशील शर्मा, जमालुद्दीन अंसारी, आजाद अंसारी, रामाधार यादव, प्रदीप गुप्ता मुखिया, मुखिया प्रतिनिध चंदन गुप्ता, पूर्व बीडीसी मोहम्मद साबिर, प्रमुख प्रतिनिधि संजय यादव, पूर्व मुखिया मंजूर हसन ,अब्दुल जब्बार उर्फ मुन्ना, समाजसेवी संजीत राय, आदि लोग उपस्थित रहें।