प्रभात इंडिया न्यूज़ भैरोगंज (सुनिल कुमार पांडे)
रविवार की देर रात्रि जब सारे लोग गहरी नींद में थे । तब आसमान को बादलों ने ढंक लिया और भोर होने से पहले रात के तकरीबन ढाई तीन बजे गरज के साथ छींटे पड़ने शुरू हो गए । सोमवार के सुबह सबेरे जब लोगों की आँखे खुली तो मिट्टी की ऊपरी सतह हल्की भींगी हुई थी । हवा में नमी थी । इसलिए गर्मी का असर नहीं था । आसमान में अभी बादल जमा थे । किसान आश भरी निगाहों से आसमान और जमीन को देख रहे थे । क्योंकि रात में हुई बर्षा गन्ने अथवा सब्जियों के खेती के लिये अभी तक उपयुक्त नहीं थी । कुछ देर विराम के बाद यानी सुबह के तकरीबन 7.30 बजे अचानक एक बार फिर आसमान में बादल घने हो गए और गर्जना के साथ छींटे पड़ने की शुरुआत हो गई । आम आदमी से लेकर किसानों के चेहरे इस उम्मीद में खिल गए कि शायद समुचित मात्रा में बरसा हो जाय और भीषण गर्मी से राहत के साथ जलते गन्ने की फसलों पर चल रहा ग्रहण टल जाय । पर इस बार भी उन्हें केवल निराश ही हाथ आई । कुछ क्षणों के छींटों के उपरांत बादलों का गर्जना और छींटे पड़ना बंद हो गया । बादलों की आँख मिचौली सोमवार को समाचार संकलन के वक़्त भी जारी थी । लेकिन दिन के तकरीबन पौने तीन बजे एक बार फिर काले बादल घने होकर बरसने लगे । बता दें कि पिछले कई दिनों से लगातार गर्मी का कहर चल रहा था । इन लम्हों में आसमान पूरी तरह साफ नहीं था । धूप अधखिली रहती थी । लेकिन हवा का वेग बिलकुल शांत था । इसलिये गर्मी ज्यादा महसूस की गई । लेकिन रविवार की देर रात्रि के बाद आये मौसमी बदलाव के साथ गर्मी से भारी राहत अवश्य है । परंतु खेती किसानी अभी भी मुश्किल में बताई जा रही है । किसानों के चेहरों के भाव मौसमी रुख के हिसाब से लगातार बदलते दिखाई पड़े । समाचार सम्प्रेषण तक बादलों का गर्जना और बरसाना जारी था ।