प्रभात इंडिया न्यूज़/पश्चिम चम्पारण बेतिया (सोनू भारद्वाज)
विपक्ष की जीत की स्थिति में मोदी सरकार के ट्रिकली डाउन इकोनॉमी के फेल हो चुके मॉडल में सबको रोजगार मुहैया करने की बात दिवास्वप्न है – रवीन्द्र कुमार रवि
भाकपा माले (रेड फ्लैग) का जिला कन्वेंशन स्थानीय केदार आश्रम, बेतिया में कॉमरेड हरिशंकर प्रसाद की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कन्वेंशन को संबोधित करते हुये भाकपा माले (रेड फ्लैग) के राज्य सचिव कॉमरेड रवीन्द्र कुमार ‘रवि’ ने कहा कि विगत दस वर्षों के मोदी शाह के शासनकाल झूठ और फरेबी का रहा है। पूरे देश के राष्ट्रीय सम्पदा को मोदी सरकार कॉर्पोरेट घरानों के हाथों में गिरवी रख दिया है। आगे उन्होंने कहा कि इस इवीएम के जमाने में चुनावी विश्लेषण बकवास के सिवा और कुछ नहीं है। मेन स्ट्रीम मीडिया भाजपा के पक्ष में माहौल बना रही है और यू-ट्यूब वाले विपक्ष, यानी कांग्रेस के पक्ष में 2024 का चुनाव ? जो लोग पिछले 20 या 22 सालों से भारतीय राजनीति में छल, प्रपंच, हत्या, नरसंहार, अदालत मैनेजमेंट, नौकरशाही का बोलबाला रहा है। भाकपा माले (रेड फ्लैग) के राज्य सचिव का. रवीन्द्र ने आगे कहा कि अगर वैश्विक आर्थिक शक्तियों की धाराओं को नजदीक से देखे तो स्पष्ट हो जाता है कि क्रॉनी पूंजीवाद और लिबरल लोकतंत्र के बीच की लड़ाई पिछले कुछ सालों में और धारदार हुई है। भारत के परिप्रेक्ष्य में यही लड़ाई आज राहुल बनाम मोदी के बीच दिख रही है। भाकपा माले नेता का. रवीन्द्र ने कहा कि वर्तमान देश की हालात में सारे आर्थिक, वैधानिक और अन्य शक्तियों पर काबिज मोदी आसानी से हार मान लेंगे तो यह सोचना गलत होगा। का. रवीन्द्र वतौर राहुल गांधी को रोजगार की गारंटी को कांग्रेस घोषणा पत्र में शामिल करने की नौबत आ गई है, विश्व के इतिहास में सोवियत संघ के सिवा और किसी भी देश में आज तक रोजगार गारंटी नहीं दी जा सकी है। भाकपा माले नेता ने यह भी कहा कि जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार कांग्रेस फिर से राष्ट्रीयकरण के रास्ते पर लौट सकती है। जीत की स्थिति में इसके सिवा ट्रिकली डाउन इकोनॉमी के फेल हो चुके मॉडल में सबको रोजगार मुहैया करने की बात दिवास्वप्न है। आगे उन्होंने कहा कि दस वर्षों के मोदी युग में कार्पोरेट, मीडिया, न्यायपालिका और कार्यपालिका का एक ऐसा गठजोड़ विधायिका के साथ स्थापित हो गया है जिसे सिर्फ चुनावी जीत के सहारे नहीं तोड़ा जा सकता है। सत्ता परिवर्तन की लड़ाई कहां तक व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई में ढल सकती है इसका उदाहरण हमें जेपी आंदोलन के बाद आए जनता पार्टी की सरकार के रिकॉर्ड में दिख जाता है। राइट टू रिकॉल कभी लागू नहीं किया गया था, इस परिप्रेक्ष्य में एक बात अच्छी हुई है और वह यहां की मोदी सत्ता ने भारत के तथाकथित लोकतंत्र की सारी विडम्बना को पूरी तरह से एक्सपोज कर ऐसा नंगा कर दिया है कि साधारण जनता को समूची व्यवस्था से मोह भंग बहुत हद तक हो चुका है। कांग्रेस और अन्य दक्षिण पंथी विपक्षी दल इस सड़े गले सिस्टम में फिर से विश्वास पैदा करने की कोशिश में लगे हैं। कहां तक सफल होते हैं यह देखने की बात है। भाकपा माले नेता कामरेड रवीन्द्र कुमार ‘रवि’ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कॉर्पोरेट की गोद में बैठी मोदी सरकार जन क्रांति के लिए लिबरल डेमोक्रेटिक सरकारों से बेहतर जमीन तैयार करती है, इसलिए संसदीय वाम अगर क्रांति के दूरगामी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो उनका दोनों पक्षों से समान्य दूरी बनाए रखने की जरूरत है। आगे उन्होंने कहा कि संसदीय वाम का यह तरक्की आज तात्कालिक जरूरत फासीवाद के खिलाफ लड़ाई में संसदीय दक्षिणपंथी विपक्ष के साथ खड़े होना है तो यह बात गले से नहीं उतरता है। 1977 में इस लाइन का नतीजा हम देख चुके हैं। जब लेफ्ट फ्रंट ने मनमोहन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस लिया उसके बाद वह 64 सांसद से कितने पर 2009 में आ गए इसे हर किसी ने देखा है। मूल बात यह है कि संसदीय राजनीति की मुख्य धारा में शामिल होकर व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है और ना ही पूंजीवादी व्यवस्था के अंतर विरोधों को पूंजीवादी व्यवस्था के खात्में का इंतजार और हाथ पर हाथ रख धरे के धरे रह सकते हैं। ऐतिहासिक परिस्थितियों को संघर्ष के जरिए बनाया भी जा सकता है। समय के हाथों छोड़ देना उसी तरह का भाग्यवाद है। कन्वेंशन को भरत शर्मा, म. जावेद, आयशा खातून, धनन्जय साह आदि नेताओं ने भी संबोधित किया। कन्वेंशन में भाकपा माले (रेड फ्लैग) की सात सदस्यीय, पश्चिम चम्पारण जिला कमिटी में साथी हरिशंकर प्रसाद, भरत प्रसाद, आयशा खातून, धनन्जय साह, मिन्टू राम चुने गयें, और सर्वसम्मति से का. महेन्द्र राम जिला सचिव मनोनीत किये गयें। अन्त में मो. बाबूजान खां ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी हरिशंकर प्रसाद ने दी।