डब्ल्यूटीओ को एमएसपी, सरकारी खरीद, पीडीएस जैसे सब्सिडी वाले खाद्य कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लागू के मंसूबा पर भारत सरकार रोक लगावे।प्रभात इंडिया न्यूज प्रमंडल एडिटर बेतिया सोनू भारद्वाज। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) पश्चिम चम्पारण अपने प्रदर्शन के माध्यम से मोदी सरकार से मांग करता है कि 26-29 फरवरी को अबू धाबी में होने वाले विश्व व्यापार संगठन के 13 वें मंत्री स्तरीय सम्मेलन में कृषि को डब्ल्यू टीओ से बाहर रखने के लिए विकसित देशों पर मोदी सरकार दबाव डाले। भारत की खाद्य सुरक्षा और मूल्य समर्थन कार्यक्रम डब्ल्यूटीओ में बार-बार विवाद का विषय रहा हैं। प्रमुख कृषि निर्यातक देशों ने 2034 के अंत तक कृषि को समर्थन देने के लिए डब्ल्यूटीओ सदस्यों के अधिकारों में वैश्विक स्तर पर 50% की कटौती का प्रस्ताव दिया है।
एमएसपी को सी-2+50% स्तर पर तय करने और सभी किसानों के लिए एमएसपी की वैधानिक गारंटी के लिए किसानों और , मजदूरों के चल रहे देशव्यापी संघर्ष को देखते हुए। भारत के 90% किसान ए-2+एफएल+50% पर आधारित एमएसपी की वर्तमान प्रणाली के दायरे से भी बाहर हैं और गंभीर कृषि संकट और कृषि कर्ज की बोझ का सामना कर रहे हैं। मोदी शासन के दस वर्षों के दौरान बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी और गांवों से शहरों की ओर प्रवास ने ग्रामीण इलाकों में संकट और अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है। भारत सरकार को अपने किसानों की सुरक्षा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकारों की दृढ़ता से रक्षा करनी चाहिए। इनके रास्ते में किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था या समझौते को बाधा बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
भारत सरकार को इन मुद्दों के स्थायी समाधान के लिए सामूहिक रूप से लड़ने के लिए दूसरे कम विकसित देशों के साथ मिलकर समर्थन जुटाना चाहिए, ताकि विकासशील देशों को न केवल अपने मौजूदा कार्यक्रमों को बनाए रखने की अनुमति दी जाए, बल्कि उन्हें बड़े पैमाने पर अपने किसानों और लोगों की व्यापक रूप से मदद करने के लिए उन्हें मजबूत करने की अनुमति भी दी जाए।
भारत की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली — जिसमें एमएसपी और सार्वजनिक खरीद की प्रणाली और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के माध्यम से अनाज का वितरण शामिल है । कुछ विकसित देशों द्वारा मांग की जा रही है, भारत को टैरिफ में कमी के माध्यम से निर्यातकों के लिए बाजार तक पहुंच बढ़ाने के प्रस्तावों का भारत सरकार दृढ़ता से विरोध करे
संयुक्त किसान मोर्चा , पश्चिम चम्पारण (एसकेएम)
‘डब्ल्यूटीओ छोड़ो’ दिवस के अवसर पर कृषि को डब्ल्यूटीओ से बाहर रखने के लिए बेतिया में विशाल प्रदर्शन
डब्ल्यूटीओ को एमएसपी, सरकारी खरीद, पीडीएस जैसे सब्सिडी वाले खाद्य कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लागू के मंसूबा पर भारत सरकार रोक लगावे
बेतिया (सोनू भारद्वाज)। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) पश्चिम चम्पारण अपने प्रदर्शन के माध्यम से मोदी सरकार से मांग करता है कि 26-29 फरवरी को अबू धाबी में होने वाले विश्व व्यापार संगठन के 13 वें मंत्री स्तरीय सम्मेलन में कृषि को डब्ल्यू टीओ से बाहर रखने के लिए विकसित देशों पर मोदी सरकार दबाव डाले। भारत की खाद्य सुरक्षा और मूल्य समर्थन कार्यक्रम डब्ल्यूटीओ में बार-बार विवाद का विषय रहा हैं। प्रमुख कृषि निर्यातक देशों ने 2034 के अंत तक कृषि को समर्थन देने के लिए डब्ल्यूटीओ सदस्यों के अधिकारों में वैश्विक स्तर पर 50% की कटौती का प्रस्ताव दिया है।एमएसपी को सी-2+50% स्तर पर तय करने और सभी किसानों के लिए एमएसपी की वैधानिक गारंटी के लिए किसानों और , मजदूरों के चल रहे देशव्यापी संघर्ष को देखते हुए। भारत के 90% किसान ए-2+एफएल+50% पर आधारित एमएसपी की वर्तमान प्रणाली के दायरे से भी बाहर हैं और गंभीर कृषि संकट और कृषि कर्ज की बोझ का सामना कर रहे हैं। मोदी शासन के दस वर्षों के दौरान बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी और गांवों से शहरों की ओर प्रवास ने ग्रामीण इलाकों में संकट और अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है। भारत सरकार को अपने किसानों की सुरक्षा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकारों की दृढ़ता से रक्षा करनी चाहिए। इनके रास्ते में किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था या समझौते को बाधा बनने की इजाजत नहीं दी जा सकता।भारत सरकार को इन मुद्दों के स्थायी समाधान के लिए सामूहिक रूप से लड़ने के लिए दूसरे कम विकसित देशों के साथ मिलकर समर्थन जुटाना चाहिए, ताकि विकासशील देशों को न केवल अपने मौजूदा कार्यक्रमों को बनाए रखने की अनुमति दी जाए, बल्कि उन्हें बड़े पैमाने पर अपने किसानों और लोगों की व्यापक रूप से मदद करने के लिए उन्हें मजबूत करने की अनुमति भी दी जाए।भारत की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली — जिसमें एमएसपी और सार्वजनिक खरीद की प्रणाली और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के माध्यम से अनाज का वितरण शामिल है । कुछ विकसित देशों द्वारा मांग की जा रही है, भारत को टैरिफ में कमी के माध्यम से निर्यातकों के लिए बाजार तक पहुंच बढ़ाने के प्रस्तावों का भारत सरकार दृढ़ता से विरोध करे। इस अवसर पर बलिराम भवन बेतिया से शानदार बाइक मार्च निकाला गया। जो शहर का भ्रमण करते हुए जिला समाहरणालय पहुंचा। जहां डब्ल्यू टी ओ का पुतला फुंका गया। इस अवसर पर आयोजित सभा का संचालन करते हुए बिहार राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष प्रभुराज नारायण राव , एटक नेता ओमप्रकाश क्रान्ति, लोक संघर्ष समिति के भाई पंकज, बिहार राज्य किसान सभा के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य चांदसी प्रसाद यादव,किसान सभा के अध्यक्ष अशोक मिश्र , किसान सभा के जिला अध्यक्ष रामा यादव, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के सुरेंद्र प्रसाद , सीटू के जिला सचिव शंकर कुमार राव, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान संघ के मानती राम, बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला सचिव प्रभुनाथ गुप्ता , खेत मजदूर यूनियन के सुबोध मुखिया, ईंख उत्पादक संघ के जिला सचिव म वहीद , लालबाबू यादव ,नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष म. सहीम, अंजारूल, जयंत दुबे, म. हनीफ, ज्वलाकांत दुबे, प्रकाश वर्मा, चंद्रिका साह, ध्रुबनाथ तिवारी, सुनील यादव ,मनोज कुशवाहा , उमेश यादव सफेसर अली आदि थे।