प्रभात इंडिया न्यूज़/भीतहां अजय गुप्ता
राम काज लगि तव अवतारा।* सुनतहिं भयउ पर्वताकारा ।। (४/२९/३)
पृथ्वी पर श्री हनुमान जी के अवतरण के मूल उद्देश्य की पूर्ति का श्री गणेश इसी काण्ड (सुन्दरकाण्ड) से प्रारम्भ हुआ।
जैसा कि उपरोक्त चौपाईयों में ध्वनित हो रहा है कि श्री हनुमान जी का अवतार इस पृथ्वी पर श्री राम कार्य के लिए हुआ *’राम काज लगि तव अवतारा।’* कुछ अटपटा सा अवश्य लगता है कि जगत के कल्याण एवं राक्षसों के विनाश, ऋषि-मुनियों को दर्शन देने, अनकों वरदानों की पूर्ति और शाप की रक्षा आदि-आदि कारणों से परात्पर परब्रह्म श्री रामजी के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए और नर लीला की, परन्तु जो सर्वसमर्थ है, शक्तिमान है उसके कार्य के लिए किसी अन्य को अवतार लेना पड़े यही समझने और विचारने का प्रश्न है। लेकिन उस रहस्य पर चर्चा हम नहीं करेंगे। श्री जामवन्त जी श्री हनुमान जी के पृथ्वी पर अवतरित होने के रहस्य को जानते हैं इसलिये उन्होंने श्री हनुमान जी से जो कहा वह सर्वविदित हो गया कि श्री हनुमान जी ने तो केवल रामकार्य के लिए ही अवतार लिया है।
इस प्रकार किष्किंधाकाण्ड में श्री राम जी का आशीर्वाद, मुद्रिका और सेवा का अवसर श्री हनुमान जी ने प्राप्त तो कर लिया और जामवंत जी ने भी रामकाज लगि तव अवतारा। कहकर हनुमान जी के अवतार के हेतु को भी उद्घाटित कर दिया, परन्तु राम जी द्वारा निर्दिष्ट सेवा जिस काण्ड से श्री हनुमान जी ने अकेले प्रारम्भ की और भक्ति देवी के दर्शन किए वह अद्भुत खण्ड, अद्भुत सोपान जब श्री हनुमान जी की सेवा का साक्षी बना तो उसे सुन्दरकाण्ड कहा गया। और *यह भी सत्य है कि रामावतार में श्री हनुमान जी द्वारा अपने अवतार के उद्देश्यों की पूर्ति का प्रारम्भ सुन्दरकाण्ड से प्रारम्भ होता है, इसलिए जिस सोपान के कार्यों से भी हनुमान जी का जन्म और अवतार सार्थक हुआ।* जिस सोपान में श्री हनुमान जी धन्य हुए, यही नहीं जिस सोपान में श्री हनुमान जी ने धर्मावतारी परम संत स्वरूप विभीषण से मिलकर उन्हें श्री राम जी का दर्शन करवा दिया, लंका का राजा बनवा दिया तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भए सबु जग जाना।। वह सोपान तो सुन्दर होगा ही और यथार्थ में *इसी कारण इस खण्ड को सुन्दर-सोपान, ‘सुन्दरकाण्ड’ होने का गौरव मिला और जग विख्यात मानस का पंचम-सोपान सुन्दरकाण्ड जन कल्याणकारी सिद्ध हुआ।